कविता की पाठशाला
कन्नौजी क्षेत्र के रचनाकार
कन्नौजी दर्पण
नवगीत की पाठशाला
लोक संस्कृति
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
link
व्योम के पार
कविता की पाठशाला
माहिया
व्योम के पार
Wednesday, April 26, 2023
अहिले नइँ गंगा पार उजारो
अहिले नइँ गंगा पार उजारो
खुटिया बूड़ि नरौधा बूड़ो बूड़ि गओ भइँसारो
खद्दीपुर की गढ़ी बूड़ि गई कहा करै राजा बेचारो
मका बूड़ि जब ककुनी बूड़ी बूड़े उद्द बिचारे
बउ अहिलो मूड़न पइ पहुँचो
कहा करइ पउठी बेचारो
Wednesday, July 1, 2020
सरवन पँवारा
सरवन पँवारा
कात–बास दोइ अँधा बसइँ
अमर लोक नाराँइन बसे
अँधी कहति अँधते बात
हम तुम चलें राम के पास
कहा राम हरि तेरो लियो
एकुँ न बालक हमकू दियो
बालकु देउ भलो सो जाँनि
मात–पितन की राखै काँनि।
एक माँस के अच्छर तीनि
दुसरे माँस लइउड़े सरीर
तिसरे माँस के सरबन पूत्र
डेहरी लाँघइ फरकइ दुआरु
देखउ बालकु जूकिन कार
जू बालकु अन्धी को होई
जू बालकु सूरा का होइ
लइलेउ अन्धी अपनो लालु
लइलेउ सूरा अपनो लालु्
जू जो जिअइ तउ हउ बड़ भागि
दिन–दिन अन्धी सेवन लागि
दिन–दिन सूरा के भओ उजियार
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)